गीत ऋषि गोपालदास नीरज की मनाई गई जन्मशती। कवि सम्मेलनल के साथ हुआ भव्य कार्यक्रम।
साधना न्यूज़ लाइव
3 months ago


लखनऊ।
उत्तर प्रदेश साहित्य सभा एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में लखनऊ में जन्म शताब्दी श्रृंखला के अंतर्गत कवि सम्मेलन सहित भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की परिकल्पना देश के स्माइलमैन अंतर्राष्ट्रीय हास्य व्यंग कवि सर्वेश अस्थाना द्वारा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यातिथि राज्यसभा सांसद व संसदीय राज भाषा समिति के अध्यक्ष दिनेश शर्मा, पूर्व न्यायमूर्ति अशोक कुमार, विधान परिषद सदस्य मुकेश शर्मा और पवन चौहान, नीरज के पुत्र मिलन प्रताप गुंजन और पौत्र पल्लव नीरज आदि ने दीप प्रज्वलन कर किया। कार्यक्रम में नीरज के गीतों पर राजीव वत्सल के बांसुरी वादन और स्नेहा के विशेष नृत्य ने श्रोताओं को आकर्षित किया। नीरज जी को श्रद्धांजलि स्वरूप लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार के एक शेर, क्या पता रिश्ते पुराने झांकना चाहें कभी, ये समझकर कुछ दरारें छोड़ दो दीवारों पर, ने खासी सुर्खियां बटोरी। प्रसिद्ध गीतकार विष्णु सक्सेना ने जब भी छू लो बुलंदियां तो ध्यान ये रखना जमीन से पांव का रिश्ता न छुटने पाए से कवि सम्मेलन की ज़ोरदार शुरुआत की। कवि सम्मेलन में विष्णु सक्सेना के साथ सोनरूपा विशाल, दिनेश रघुवंशी, बलराम श्रीवास्तव, प्रवीण कौशल, अशोक राज एवं यशपाल ने प्रतिभाग किया और अपनी सशक्त कविताओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

कार्यक्रम में प्रख्यात कवि उदय प्रताप सिंह, आईएएस सूर्यपाल गंगवार, आलोक राज, अखिलेश मिश्रा, हरि ओम, पवन कुमार को नीरज सम्मान से अलंकृत किया गया। कवि सम्मेलन का सफल संचालन सर्वेश अस्थाना ने किया। बता दे कि मेरे जीवन को आधार नहीं मिलता है। जैसी कालजई रचनाओं के रचयिता 4 जनवरी 1925 को जन्मे मात्र 6 वर्ष की अल्पायु में पिता के साए से वंचित दर्द को सामान रूप से जीने वाले हिंदी काव्य जगत और हिंदी फिल्मी जगत के महामात्य गोपाल दास सक्सेना नीरज का जीवन संघर्षपूर्ण रहा।पर हिंदी के इस सिरमौर ने संघर्ष को आत्मसात कर अपनी लेखनी के बल पर अपनी काव्य यात्रा को विजय यात्रा में बदल दिया। पद्म भूषण नीरज की काव्ययात्रा इस वर्ष संपूर्ण देश में उनकी जन्मशती के रूप में मनाई जा रही है।