तहज़ीब के शहर में साहित्य का महाकुंभ। कुल 28 सत्रों में साहित्यकारों का विशाल संगम।

लखनऊ
उत्तरप्रदेश की राजधानी में साहित्य की विशाल गंगा बही। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा दो दिवसीय साहित्यिक अधिवेशन ‘ साहित्य – संकल्प ‘ का आयोजन किया गया। अधिवेशन में संपूर्ण उत्तर प्रदेश के साहित्यकारों का समागम किया गया। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा अपने सर्वाधिक सदस्यों के साथ देश की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था के रूप में स्थापित है। संस्था के 4000 सदस्य समाज के विभिन्न तबकों से हैं और साहित्य की विभिन्न विधाओं में कार्य कर रहे हैं। संगठन के प्रधान अध्यक्ष व अंतरराष्ट्रीय हास्य व्यंग कवि सर्वेश अस्थाना ने बताया कि उत्तर प्रदेश साहित्य सभा का उद्देश्य राज्य के साहित्यकारों के उत्थान के साथ अच्छे साहित्य का संवर्धन भी है। संस्था का एक बड़ा उद्देश्य नवोदित व सुदूर दुर्गम क्षेत्रों के साहित्यकारों को अच्छा मंच प्रदान करना भी है। इसी के साथ संस्था ने राज्य सरकार से साहित्यकारों के लिए निःशुल्क चिकित्सा राज्य परिवहन में छूट की मांग करी है। अपने इसी लक्ष्यप्राप्ति को ऊ. प्र. सा. स. ने राजधानी लखनऊ में दो दिवसीय भव्य साहित्यिक अधिवेशन किया। जिसका उद्घाटन प्रदेश के उप – मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने किया। अधिवेशन में संपूर्ण प्रदेश के लगभग 1000 रचनाकारों ने प्रतिभाग किया।

इस विराट साहित्यिक समागम में 28 सत्रों द्वारा साहित्य से जुड़े सभी आयामों पर चर्चा की गई। सत्रों का प्रारूप अन्तःक्रियात्मक भी रखा गया था। जिससे पारस्परिक चर्चा कर समस्याओं के सटीक समाधान निकाले जा सकें। अधिवेशन में देश के अग्रणी कवि प्रसिद्ध गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना , प्रतिष्ठित कवि उदय प्रताप सिंह ,लोकप्रिय कवि बलराम श्रीवास्तव, सोनरूपा विशाल,मुकुल महान, कमल आग्नेय ,आशीष अनल,गजेंद्र प्रियांशु आदि ने भी प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का समापन पूर्व उप मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद डॉ दिनेश शर्मा ने किया। राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने अपनी सांसद निधि से साहित्य सभा को लखनऊ में साहित्य सभागृह बनाने के लिए 50 लाख रुपए का अनुदान देने की बात कही है।